तौहीद तो ये है कि ख़ुदा हश्र में कह दे
ये बंदा ज़माने से ख़फ़ा मेरे लिए है
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ख़ूगर-ए-जौर पे थोड़ी सी जफ़ा और सही
हम मआनी-ए-हवस नहीं ऐ दिल हवा-ए-दोस्त
तन्हाई के सब दिन हैं तन्हाई की सब रातें
क़ैद और क़ैद भी तन्हाई की
वही दिन है हमारी ईद का दिन
दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल क़ज़ा के ब'अद
सारी दुनिया ये समझती है कि सौदाई है
तिश्ना-लब हूँ मुद्दतों से देखिए
दिल को हलाक-ए-जल्वा-ए-जानाँ बनाइए
क़त्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यज़ीद है
तुम यूँ ही समझना कि फ़ना मेरे लिए है
अर्श तक जो बे-ख़ता जाता है ये वो तीर है