अब तो बिस्तर को जल्दी से तह कर चुको
लुक़्मा हाथों में है तो उसे फेंक दो
अपने बच्चों की जानिब से मुँह फेर लो
इस घड़ी बीवियों की न पर्वा करो
राह में दोस्तों की नज़र से बचो
इस से पहले कि तामील में देर हो
सायरन बज रहा है चलो दोस्तो!
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उस तरफ़ वो जो नज़र पड़ता है
सूखा बाँझ महीना मौला पानी दे
दीवारों पर गीली रेखाएँ रोती हैं
खिलते हैं दिल में फूल तिरी याद के तुफ़ैल
चोर चूहे और बच्चे
जो होंटों पे मोहर-ए-ख़मोशी लगा दी
धरती पर क्या कम है
ख़ुद मुझ को भी मालूम नहीं है कि मैं क्या हूँ
ख़ुश्क आँखों से निकल कर आसमाँ पर फैल जा
मुस्कुराहट का बीज
वसिय्यत
इस खुरदुरी ग़ज़ल को न यूँ मुँह बना के देख