काँटों में रख के फूल हवा में उड़ा के ख़ाक
करता है सौ तरह से इशारे मुझे कोई
Javed Akhtar
Habib Jalib
Rahat Indori
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Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Gulzar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
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शाख़ों पर इबहाम के पैकर लटक रहे हैं
सुनता हूँ कि तुझ को भी ज़माने से गिला है
क्या करता मैं हम-अस्रों ने तन्हा मुझ पर छोड़ दिया
नए नज़रिये की तख़्लीक़
मुस्कुराहट का बीज
फ़र्क़ नहीं पड़ता हम दीवानों के घर में होने से
कई सूखे हुए पत्ते हरे मालूम होते हैं
तिनकों के अरमान लब्बैक लब्बैक
मौत का दूसरा नाम
वसिय्यत
जाँ-ब-लब वैसे ही थे और हमें मार चला
लक्ष्मण-रेखा