बा'द मरने के भी अरमान यही है ऐ दोस्त
रूह मेरी तिरे आग़ोश-ए-मोहब्बत में रहे
Javed Akhtar
Wasi Shah
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(343) Peoples Rate This
पत्थरों पे नाम लिखता हूँ तिरा
रहमत-ए-हक़ को न कर मायूस अपने फ़ेअ'ल से
कोई उस ज़ालिम को समझाता नहीं
माँगना काम मुझ सवाली का
भरे रहते हैं अश्क आँखों में हर दम
दिल मिट गया तो ख़ैर ज़रूरत नहीं रही
फूल खुलते ही तितली भी आई
वो कभी माइल-ए-वफ़ा न हुआ
मिरे मिटने पे गर तू भी मिटा होता तो क्या होता
जल बुझूँगा भड़क के दम भर में
जो भी दे दे वो करम से वही ले ले 'नादिर'