पत्थरों पे नाम लिखता हूँ तिरा
देख तू ओ बुत मिरी दीवानगी
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(351) Peoples Rate This
मतलब का ज़माना है 'नादिर' कोई क्या देगा
नंग है राज़-ए-मोहब्बत का नुमायाँ होना
जल बुझूँगा भड़क के दम भर में
वो कभी माइल-ए-वफ़ा न हुआ
इंसान के दिल को ही कोई साज़ नहीं है
हम उन के ग़म में तड़प रहे हैं जो ग़ैर से दिल लगा चुके हैं
माँगना काम मुझ सवाली का
तुझे देखा तिरे जल्वों को देखा
दिल मिट गया तो ख़ैर ज़रूरत नहीं रही
क्यूँ ये कहते हो क्या नहीं मालूम
ज़िंदगी अपनी कामयाब नहीं