वो मेरे ज़ेहन पे इतना सवार हो गया था

वो मेरे ज़ेहन पे इतना सवार हो गया था

मैं कम-सिनी में जुनूँ का शिकार हो गया था

करेगा कौन तिरी वुसअतों का अंदाज़ा

जो हम-कनार हुआ बे-कनार हो गया था

तमाम उम्र फिर अपनी तलाश में गुज़री

मैं अपने आप से इक दिन फ़रार हो गया था

मुझे गँवा के लिया दिल ने सूझ-बूझ से काम

फ़ुज़ूल-ख़र्च किफ़ायत-शिआ'र हो गया था

भटक रहा था कोई सर-फिरी हवाओं में

फिर इस के बा'द सुपुर्द-ए-ग़ुबार हो गया था

मिली थी माँ की ग़ुलामी से ये सर-अफ़राज़ी

कि बादशाहों में मेरा शुमार हो गया था

मुझे भी अच्छे बुरे की शनाख़्त हो गई थी

'नसीम' जिन दिनों बे-रोज़गार हो गया था

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In Hindi By Famous Poet Naseem Abbasi. is written by Naseem Abbasi. Complete Poem in Hindi by Naseem Abbasi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.