मैं रुक गया चढ़ी हुई नद्दी के सामने
कुछ वक़्त मेरे पास था बरसात के लिए
Allama Iqbal
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(472) Peoples Rate This
इतना न घूम रात को फूलों की बास में
छोटे बड़े बुरे भले दिन रात के लिए
कह गया था वो कुछ इशारे से
जहाँ जहाँ भी हवस का ये जानवर जाए
बदन का काम थोड़ा है मगर मोहलत ज़ियादा है
में ऐसा ज़ौक़-ए-ज़ेबाइश ब-रू-ए-कार ले आया
वो मेरे ज़ेहन पे इतना सवार हो गया था
मेरा तन सर से जुदा करते ही बेकल हो गया
ख़मोश रह कर पुकारती है
दोस्त बन कर भी कहीं घात लगा सकती है
किस बुर्ज में फ़लक ने सितारे मिलाए हैं