दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से
फिर तिरा वादा-ए-शब याद आया
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Gulzar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(532) Peoples Rate This
दिन ढला रात फिर आ गई सो रहो सो रहो
थोड़ी देर को जी बहला था
अव्वलीं चाँद ने क्या बात सुझाई मुझ को
दिल धड़कने का सबब याद आया
कभी ज़ुल्फ़ों की घटा ने घेरा
तू ने तारों से शब की माँग भरी
वो दिल-नवाज़ है लेकिन नज़र-शनास नहीं
इस शहर-ए-बे-चराग़ में जाएगी तू कहाँ
कहते हैं ग़ज़ल क़ाफ़िया-पैमाई है 'नासिर'
शहर सुनसान है किधर जाएँ
दिल तो मेरा उदास है 'नासिर'
तू है या तेरा साया है