ज़हर तो ला-जवाब था उस का
ज़हर तो ला-जवाब था उस का
दिन ही शायद ख़राब था उस का
जबकि मेरा सवाल सीधा था
फिर भी उल्टा जवाब था उस का
वो महज़ धूप का मुसाफ़िर था
हम-सफ़र आफ़्ताब था उस का
आँख जैसे कोई समुंदर हो
और लहजा शराब था उस का
मुतमइन था वो ज़ात से अपनी
ख़ुद ही वो इंतिख़ाब था उस का
(440) Peoples Rate This