साँस में साजना हवा की तरह
साँस का सिलसिला हवा से है
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मजमा' नहीं मुजल्ला है अशआ'र की जगह
दिल से हुसूल-ए-ज़र के सभी ज़ोम हट गए
तू दर्द-ए-ताज़ा के उनवान की महूरत है
तुझे पछाड़ न दें रौशनी में तेरे रफ़ीक़
उम्रों के बुझते मामूरे में
चौखटा दिल का यहाँ है हू-ब-हू तुझ सा कोई
पुस्तकों में प्रानों में अर्ज़ों में आसमानों में
दिल को जब आगही की आग लगे
क़ाएम है आबरू तो ग़नीमत यही समझ
आँखों के आबगीने बहे फूट फूट कर
हिजरतों में हूजुरियों के जतन
बेकल है मुख निगाह में बोसों की प्यास है