ज़रा दम तो ले ले तूफ़ाँ कि थका है रास्ते का
मिरे दम के तोड़ने में तिरा दम न टूट जाए
वही सर-बुलंद-ए-महफ़िल जिसे आए सरफ़रोशी
वही ज़िंदगी का मालिक जो अजल पे मुस्कुराए
Mir Taqi Mir
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Rahat Indori
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ऐ दाना-हा-ए-गंदुम देखो न मुस्कुरा के
निगाह ओ दिल भी क़दम की तरह मिला के चले
मिरे टूटे हुए दिल की सदा से खेलने वाले
ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
हर साँस में इक हश्र बपा है वाइ'ज़
आह गाँधी
हम उन के दर पे न जाते तो और क्या करते
जी में आता है कि दें पर्दे से पर्दे का जवाब
दीपावली
हैं यूँ मस्त आँखों में डोरे गुलाबी
इस वक़्त ग़ज़ल की बात न कर
ईद मिलन