हर साँस में इक हश्र बपा है वाइ'ज़
दुनिया ही में उक़्बा का मज़ा है वाइ'ज़
आए हो तुम इक रोज़ जज़ा को ले कर
हर रोज़ यहाँ रोज़-ए-जज़ा है वाइ'ज़
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Wasi Shah
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Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
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Parveen Shakir
Gulzar
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'प्रेमचंद' एक था एक से इक जहाँ बन गया
किस तरह से आई है जमाही तौबा
अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीक
मस्जिद-ओ-मंदिर कलीसा सब में जाना चाहिए
जब से वो कह के गए हैं कि अभी आते हैं
एक झोंका इस तरह ज़ंजीर-ए-दर खड़का गया
पंद्रह अगस्त
ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
फ़िरक़ा-परस्ती का चैलन्ज
बढ़ता हुआ हौसला न टूटे दिल का
हुए मुझ से जिस घड़ी तुम जुदा तुम्हें याद हो कि न याद हो
होली