जी में आता है कि दें पर्दे से पर्दे का जवाब
हम से वो पर्दा करें दुनिया से हम पर्दा करें
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
Parveen Shakir
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वो जो बिछड़े मौत याद आने लगी
गंगा के किनारे
साहिल पे अगर मिरा सफ़ीना आ जाए
जो ग़ज़ल महलों से चल कर झोंपड़ों तक आ गई
रास्ता रोके हुए कब से खड़ी है दुनिया
वो आइना हूँ जो कभी कमरे में सजा था
आस ही से दिल में पैदा ज़िंदगी होने लगी
दीवाली और दीवाली मिलन
प्यारा हिन्दोस्तान
दूसरों से कब तलक हम प्यास का शिकवा करें
अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीक