रात से शिकायत क्या बस तुम्हीं से कहना है
तुम ज़रा ठहर जाओ रात कब ठहरती है
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(416) Peoples Rate This
ये जो इंसाँ ख़ुदा का है शहकार
जिस दर्जा नेक होने की मिलती रही है दाद
जिन के गुनाह मेरी नज़र से निहाँ नहीं
अभी से वो दामन छुड़ाने लगे हो
आए तो दिल था बाग़ बाग़ और गए तो दाग़ दाग़
आँखों में बे-रुख़ी नहीं दिल में कशीदगी नहीं
हालात अब तो इतने दुश्वार हो गए हैं
ख़ुद-फ़रेबी ने बे-शक सहारा दिया और तबीअ'त ब-ज़ाहिर बहलती रही
और ही वो लोग हैं जिन को है यज़्दाँ की तलाश
हर शख़्स बन गया है ख़ुदा तेरे शहर में
हवस की आग बुझी दिल की तिश्नगी है वही