आए तो दिल था बाग़ बाग़ और गए तो दाग़ दाग़
कितनी ख़ुशी वो लाए थे कितना मलाल दे गए
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Rahat Indori
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
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किसी की मेहरबानी से मोहब्बत मुतमइन क्या हो
आँखों में बे-रुख़ी नहीं दिल में कशीदगी नहीं
और ही वो लोग हैं जिन को है यज़्दाँ की तलाश
रात से शिकायत क्या बस तुम्हीं से कहना है
बदल गई है कुछ ऐसी हवा ज़माने की
चश्म-ए-नम कुछ भी नहीं और शेर-ए-तर कुछ भी नहीं
ये जो इंसाँ ख़ुदा का है शहकार
अभी से वो दामन छुड़ाने लगे हो
जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं
ख़ुद-फ़रेबी ने बे-शक सहारा दिया और तबीअ'त ब-ज़ाहिर बहलती रही
जिन के गुनाह मेरी नज़र से निहाँ नहीं