हम सब
एक इत्तिफ़ाक़ के
मुख़्तलिफ़ नाम हैं
मज़हब
मुल्क
ज़बान
इसी इत्तिफ़ाक़ की अन-गिनत कड़ियाँ हैं
अगर पैदाइश से पहले
इन्तिख़ाब की इजाज़त होती
तो कोई लड़का
अपने बाप के घर में पैदा होना पसंद नहीं करता
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Love Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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जो भला है उसे बुरा मत कर
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
जेब कटने के ब'अद
दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
मशीन
इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
क़ौमी यक-जेहती
हिजरत
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो
तू क़रीब आए तो क़ुर्बत का यूँ इज़हार करूँ
कोई हंगामा उठाया जाए