कोई हंगामा उठाया जाए
बे-सबब शोर मचाया जाए
किस के आँगन में नहीं दीवारें
किस को जंगल में बुलाया जाए
उस से दो-चार बार और मिलें
जिस को दिल से न भुलाया जाए
मर गया साँप नदी ख़ुश्क हुई
रेत का ढेर उठाया जाए
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Gulzar
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कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है
इंसान हैं हैवान यहाँ भी है वहाँ भी
आनी जानी हर मोहब्बत है चलो यूँ ही सही
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ
कुछ दिनों तो शहर सारा अजनबी सा हो गया
ये जो फैला हुआ ज़माना है
रिश्तों का ए'तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
दुख में नीर बहा देते थे सुख में हँसने लगते थे
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
ख़ुदा ख़ामोश है