होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
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जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी
बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी
सरहद-पार का एक ख़त पढ़ कर
यक़ीन चाँद पे सूरज में ए'तिबार भी रख
पिघलता धुआँ
वालिद की वफ़ात पर
बस यूँही जीते रहो
कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया
सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
उठ के कपड़े बदल घर से बाहर निकल जो हुआ सो हुआ
एक कहानी