सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(463) Peoples Rate This
हम भी किसी कमान से निकले थे तीर से
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
हिजरत
नज़्म बहुत आसान थी पहले
वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है
किसी भी शहर में जाओ कहीं क़याम करो
गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया
जेब कटने के ब'अद
दीवानगी रहे बाक़ी
इंसान हैं हैवान यहाँ भी है वहाँ भी
रुख़्सत होते वक़्त