रिश्तों का ए'तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
Mohsin Naqvi
Gulzar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
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एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
गरज बरस प्यासी धरती फिर पानी दे मौला
तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे
कठ-पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत
तन्हा हुए ख़राब हुए आइना हुए
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिए
सूरज को चोंच में लिए मुर्ग़ा खड़ा रहा
तलाश कर न ज़मीं आसमान से बाहर
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
आनी जानी हर मोहब्बत है चलो यूँ ही सही
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो