दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
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इतनी पी जाओ
हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी
सूरज को चोंच में लिए मुर्ग़ा खड़ा रहा
बड़े बड़े ग़म खड़े हुए थे रस्ता रोके राहों में
बृन्दाबन के कृष्ण कन्हैय्या अल्लाह हू
दुख में नीर बहा देते थे सुख में हँसने लगते थे
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है
कुछ दिनों तो शहर सारा अजनबी सा हो गया
रुख़्सत होते वक़्त
हुए सब के जहाँ में एक जब अपना जहाँ और हम