दुनिया न जीत पाओ तो हारो न आप को
थोड़ी बहुत तो ज़ेहन में नाराज़गी रहे
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नया सफ़र
इतनी पी जाओ
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
बिंदराबन के कृष्ण-कन्हैया अल्लाह-हू
वक़्त से पहले
ये काटे से नहीं कटते ये बाँटे से नहीं बटते
किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
उस को खो देने का एहसास तो कम बाक़ी है