अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
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मन बै-रागी तन अनूरागी क़दम क़दम दुश्वारी है
जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
आएगा कोई चल के ख़िज़ाँ से बहार में
ख़ुदा ख़ामोश है
देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठें
एक ही धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा
कोई हंगामा उठाया जाए
कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया
सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
वालिद की वफ़ात पर