हसन नईम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हसन नईम
नाम | हसन नईम |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hasan Nayeem |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1991 |
सरा-ए-दिल में जगह दे तो काट लूँ इक रात
सच तो ये कि अभी दिल को सुकूँ है लेकिन
रूह का लम्बा सफ़र है एक भी इंसाँ का क़ुर्ब
पयम्बरों ने कहा था कि झूट हारेगा
पाँव से लग के खड़ी है ये ग़रीब-उल-वतनी
पय-ब-पय तलवार चलती है यहाँ आफ़ात की
पय-ब-पय तलवार चलती है यहाँ आफ़ात की
मौजा-ए-अश्क से भीगी न कभी नोक-ए-क़लम
मैं एक बाब था अफ़साना-ए-वफ़ा का मगर
मैं अपनी रूह में उस को बसा चुका इतना
क्या फ़िराक़ ओ फ़ैज़ से लेना था मुझ को ऐ 'नईम'
कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे
कोई मौसम हो यही सोच के जी लेते हैं
किसी ने डूबती सुब्हों तड़पती शामों को
ख़ल्वत-ए-उम्मीद में रौशन है अब तक वो चराग़
ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
कम नहीं ऐ दिल-ए-बेताब मता-ए-उम्मीद
जुरअत कहाँ कि अपना पता तक बता सकूँ
जो मेरे दश्त-ए-जुनूँ में था फ़र्क़-ए-रू-ए-बहार
जो भी कहना है कहो साफ़ शिकायत ही सही
जहाँ दिखाई न देता था एक टीला भी
इतना रोया हूँ ग़म-ए-दोस्त ज़रा सा हँस कर
'इक़बाल' की नवा से मुशर्रफ़ है गो 'नईम'
ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ
गर्द-ए-शोहरत को भी दामन से लिपटने न दिया
एक दरिया पार कर के आ गया हूँ उस के पास
ऐ सबा मैं भी था आशुफ़्ता-सरों में यकता
आ बसे कितने नए लोग मकान-ए-जाँ में
तशवीश
निदा-ए-तख़्लीक़