आए भी वो चले भी गए याँ किसे ख़बर
हैराँ हूँ मैं ख़याल है ये या कि ख़्वाब है
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गर कोई पूछे मुझे आप इसे जानते हैं
जो चुप रहूँ तो बताएँ वो घुँगनियाँ मुँह में
महफ़िल में आते जाते हैं इंसाँ नए नए
दिल में क्या उस को मिला जान से हम देखते हैं
अब क्या मिलें किसी से कहाँ जाएँ अब 'निज़ाम'
अभी तो कहा ही नहीं मैं ने कुछ
क्यूँ करते हो ए'तिबार मेरा
कू-ए-जानाँ में गर अब जाएँ भी तो क्या देखें
मिरी साँस अब चारा-गर टूटती है
अब किस को याँ बुलाएँ किस की तलब करें हम
दिल लगे हिज्र में क्यूँ कर मेरा
हो के बस इंसान हैराँ सर पकड़ कर बैठ जाए