Ghazals of Obaidullah Khan Mubtala

Ghazals of Obaidullah Khan Mubtala
नामउबैदुल्लाह ख़ाँ मुब्तला
अंग्रेज़ी नामObaidullah Khan Mubtala

तुझ चेहरा-ए-गुल-रंग नीं ख़ूबाँ को गुल-गूनी दिया

तुझ बुत का हूँ मैं बरहमन कर्तार की सौगंद है

तिरा बुलबुल हूँ तुझ गुल की क़सम है

सद-हैफ़ कि कमज़ोर है चश्मान बुढ़ापा

नज़र मत बुल-हवस पर कर अरे चंचल सँभाल अँखियाँ

मुँह किताबी तेरा बयाज़ी नईं

मिरा प्यारा है ना-फ़रमाँ हमेशा और प्यारों में

माह-रू निकले है नित उजली तरह

ख़ूब है आशिक़ सूँ मिल रहना सजन

हुस्न के डंके की धूम जग में पड़ी जा-ब-जा

फ़रियाद कि वो शोख़ सितमगार न आया

दिलबर-ए-बे-बाक सूँ ख़ूब नहीं बोलना

ऐ जवानाँ नौ-बहाराँ में क़दह-नोशी करो

ऐ बुलबुल-ए-दिल दौड़ के जानाँ कूँ पहुँच तूँ

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