चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
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चकले
हुस्न को चाँद जवानी को कँवल कहते हैं
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना
शर्मिंदा उन्हें और भी ऐ मेरे ख़ुदा कर
क्या जाने किस अदा से लिया तू ने मेरा नाम
सिसकियाँ लेती हुई ग़मगीं हवाओ चुप रहो
रास्ते याद नहीं राह-नुमा याद नहीं
हालात की उजड़ी महफ़िल में अब कोई सुलगता साज़ नहीं
आज और कल
मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मअ'नी
उफ़ुक़ के उस पार ज़िंदगी के उदास लम्हे गुज़ार आऊँ
कैसे कैसे भेद छुपे हैं प्यार भरे इक़रार के पीछे