मैं न जानूँ काबा-ओ-बुत-ख़ाना-ओ-मय-ख़ाना कूँ
देखता हूँ हर कहाँ दस्ता है तुज मुख का सफ़ा
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मोहब्बत की सुल्तानी है सब जगत में
तुमन रौशनी बिन हमन रौशनी नाह
हमारा सजन ख़ुश-नज़र बाज़ है
करें ताक़त गँवा कर आबिदाँ मय-ख़ाना कूँ सज्दा
नज़र तज पे है क्या तमाशा का हाजत
प्यारी प्यारी सूँ प्यार किए
सकी मुख सफ़्हे पर तेरे लिख्या राक़िम मलक मिसरा
पिया बाज प्याला पिया जाए ना
पिया का इशक है मिरा यार-ए-जानी
सब इख़्तियार मेरा तुज हात है प्यारा
अज़ल थे है मुजे ख़ूबाँ सूँ इख़्लास