Ghazals of Raees Niyazi

Ghazals of Raees Niyazi
नामरईस नियाज़ी
अंग्रेज़ी नामRaees Niyazi

ये भूल जा कि हैं तेरे भी ग़म-गुसार बहुत

उम्र भर दुनिया को समझाता रहा

तुम्हारी बज़्म में मुझ तक भी जाम आया तो

सब को वहशत है मिरी वहशत के सामाँ देख कर

नियाज़-ए-इश्क़ है नाज़-ए-बुताँ है

मिज़ाज-ए-नग़्मा-ओ-शे'र-ओ-शराब पैदा कर

मंज़िल-ए-यार बे-निशाँ भी नहीं

जो नूर देखता हूँ मैं जाम-ए-शराब में

जब सँभल कर क़दम उठाता हूँ

जब है मिटना ही तो अंदाज़ हकीमाना सही

जान दे दी रहरव-ए-मंज़िल ने मंज़िल के क़रीब

हयात-ए-इश्क़ की ख़ुर्शीद-सामानी नहीं जाती

हर आइने ने कहा रुख़्सत-ए-ग़ुबार के बअ'द

हर आइने ने कहा रुख़्सत-ए-ग़ुबार के बा'द

ग़म जब उन का दिया हुआ ग़म है

दिल-ओ-निगाह पे जिस को हो इख़्तियार चले

अब ये आलम है कि जिस शय पे नज़र जाती है

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