ये अमल मौजा-ए-अन्फ़ास का धोका ही न हो

ये अमल मौजा-ए-अन्फ़ास का धोका ही न हो

ज़िंदगी इशरत-ए-एहसास का धोका ही न हो

जैसे इक ख़्वाब हुआ अहद-ए-गुज़िश्ता का सबात

दम-ए-आइंदा मिरी आस का धोका ही न हो

ये नगीं भी न हो बस मोजज़ा-ए-तार-ए-नज़र

ये हुनर शीशा-ओ-अल्मास का धोका ही न हो

मिरे तख़्ईल के ही अक्स न हों सब्ज़ा-ओ-गुल

दहर औहाम का वसवास का धोका ही न हो

हर यक़ीं में जो निकलता है गुमाँ का पहलू

ये मिरी अक़्ल के ख़न्नास का धोका ही न हो

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In Hindi By Famous Poet Rahman Hafeez. is written by Rahman Hafeez. Complete Poem in Hindi by Rahman Hafeez. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.