मिलते नहीं हैं अपनी कहानी में हम कहीं
ग़ाएब हुए हैं जब से तिरी दास्ताँ से हम
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मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा
सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले
ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है
घर से निकले थे हौसला कर के
यूँ देखिए तो आँधी में बस इक शजर गया
ग़म को दिल का क़रार कर लिया जाए
सफ़र में अब के अजब तजरबा निकल आया
हर एक साँस ही हम पर हराम हो गई है
यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
किया ईजाद जिस ने भी ख़ुदा को