दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वाले
मैं ने देखे हैं कई रंग ज़माने वाले
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इतना तो हुआ ऐ दिल इक शख़्स के जाने से
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
पसीने पसीने हुए जा रहे हो
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे
नहीं है ये तिरा कूचा नहीं है
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता
तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की