तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
ऐसी तंहाई का जवाब नहीं
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वो अंजुमन में रात अजब शान से गए
इतना तो हुआ ऐ दिल इक शख़्स के जाने से
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में
कोई पास आया सवेरे सवेरे
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की
मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता
पसीने पसीने हुए जा रहे हो