तक़दीर के चेहरे की शिकन देख रहा हूँ
आईना-ए-हालात है दुनिया तेरी क्या है
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(806) Peoples Rate This
चाक-ए-दामन को जो देखा तो मिला ईद का चाँद
मैं ने जिन के लिए राहों में बिछाया था लहू
वक़्त की उम्र क्या बड़ी होगी
है एहतिसाब-ए-वक़्त की लटकी हुई सलीब
जिस दौर में लुट जाए ग़रीबों कमाई
ज़ख़्म-ए-दिल पर बहार देखा है
ये जो दीवाने से दो चार नज़र आते हैं
तिरी नज़र के इशारों से खेल सकता हूँ
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
हर शय है पुर-मलाल बड़ी तेज़ धूप है