वहशत-ए-दिल ने काँच के टुकड़े
मेरी फ़िरदौस में बिखेरे हैं
क़र्या-ए-माहताब के जूया
बिस्तर-ए-ख़ाक पर बसेरे हैं
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
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चाँदनी शब है सितारों की रिदाएँ सी लो
मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया
राहज़न आदमी रहनुमा आदमी
हम बनाएँगे यहाँ 'साग़र' नई तस्वीर-ए-शौक़
महफ़िलें लुट गईं जज़्बात ने दम तोड़ दिया
एक बहकी हुई नज़र तेरी
तेरी नज़र का रंग बहारों ने ले लिया
ये किनारों से खेलने वाले
आज फिर बुझ गए जल जल के उमीदों के चराग़
आहन की सुर्ख़ ताल पे हम रक़्स कर गए
बरगश्ता-ए-यज़्दान से कुछ भूल हुई है