दुल्हन बनी हुई हैं राहें
जश्न मनाओ साल-ए-नौ के
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मैं जागूँ सारी रैन सजन तुम सो जाओ
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
नया सफ़र है पुराने चराग़ गुल कर दो
न मुँह छुपा के जिए हम न सर झुका के जिए
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
कुछ बातें
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
मिरे गीत
मुझे सोचने दे