Ghazals of Saleem Shahzad
नाम | सलीम शहज़ाद |
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अंग्रेज़ी नाम | Saleem Shahzad |
यक़ीन है कि वो मेरी ज़बाँ समझता है
शहरयारों ने दिखाईं मुझ को तस्वीरें बहुत
सदियों के रंग-ओ-बू को न ढूँडो गुफाओं में
रेत पर मुझ को गुमाँ पानी का था
रंग ताबीर का टूटे हुए ख़्वाबों में नहीं
रहा वो शहर में जब तक बड़ा दबंग रहा
फिर न आएगा ये लम्हा सोच ले
नहीं है कोई दूसरा मंज़र चारों ओर
लगता है वो आज ख़्वाब जैसा
किसी रुत में जब मुस्कुराता है तू
हवा की ज़द में पत्ते की तरह था
हाँ कहीं जुगनू चमकता था चलो वापस चलो
बाल-ओ-पर हों तो फ़ज़ा काफ़ी है