दो दो मिरे मेहमान चले आते हैं
दोनों ही दिल ओ जान चले आते हैं
साजन मिरे आए मिरा दिल लेने को
जाँ लेने को भगवान चले आते हैं
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
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मैं उस की पुजारन वो पुजारी मेरा
जब शाम ढली सिंगार कर के रोई
पूछूँगी कोई बात न मुँह खोलूँगी
बाबुल के घर से जब आई उठ कर डोली
आँखों में हया उस के जब आई शब-ए-वस्ल
आता है जो मुँह में मुझे कह देती हो
हर शाम हुई सिंगार करना भी है