कैसे इस बात पर यक़ीं कर लूँ
तू हक़ीक़त है कोई ख़्वाब नहीं
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(527) Peoples Rate This
वो मेरे हाल-ए-दिल से इस क़दर भी बे-ख़बर होगा
ज़मीं कुछ फ़लक को बताने लगी है
फिर मैं उन मंज़िलों का तालिब हूँ फिर मैं उस राह से गुज़रता हूँ
तब के क्या हासिल-ए-वफ़ा होगा
ख़ामोश धड़कनों की सदा की किसे ख़बर
चश्म-ए-तर है कोई सराब नहीं
शायद सवाब तुम को भी मिल जाए सब के साथ