अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Habib Jalib
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
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वो ख़ुदा है तो मिरी रूह में इक़रार करे
मस्ताना हीजड़ा
अभी नज़र में ठहर ध्यान से उतर के न जा
लोग लम्हों में ज़िंदा रहते हैं
आग हो दिल में तो आँखों में धनक पैदा हो
ये किस ने भरम अपनी ज़मीं का नहीं रक्खा
मेरी अय्यार निगाहों से वफ़ा माँगता है
तुम और किसी के हो तो हम और किसी के
शेर-इमदाद-अली का मेडक
ख़ाक मैं उस की जुदाई में परेशान फिरूँ
पोस्टर
अजब कि सब्र की मीआद बढ़ती जाती है