बयान क़िस्सा-ए-बेचारगी किया जाए
जो दिल की रह गई दिल में उसे कहा जाए
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Wasi Shah
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Anwar Masood
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
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बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है
आशिक़ी की ख़ैर हो 'सरवर' कि अब इस शहर में
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
ढूँडते ढूँडते ख़ुद को मैं कहाँ जा निकला
वाक़िफ़ थे कहाँ हम दिल-ए-ना-चार से पहले
शौक़ है तुझ को ज़माने में तिरा नाम रहे
आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
सुब्ह को चैन न हो शाम को आराम न हो
तू ने कब इश्क़ में अच्छा बुरा सोचा 'सरवर'