आशिक़ी की ख़ैर हो 'सरवर' कि अब इस शहर में
वक़्त वो आया है बंदे भी ख़ुदा होने लगे
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बयान क़िस्सा-ए-बेचारगी किया जाए
बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है
वाक़िफ़ थे कहाँ हम दिल-ए-ना-चार से पहले
शौक़ है तुझ को ज़माने में तिरा नाम रहे
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
देख ये जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा तो नहीं
आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
ढूँडते ढूँडते ख़ुद को मैं कहाँ जा निकला
क्या तमाशा देखिए तहसील-ए-ला-हासिल में है
कम-अयारी ने ख़ुदा-सोज़ बनाया ऐसा