आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
''इक आग का दरिया है और डूब के जाना है'
Rahat Indori
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वाक़िफ़ थे कहाँ हम दिल-ए-ना-चार से पहले
बयान क़िस्सा-ए-बेचारगी किया जाए
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
देख ये जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा तो नहीं
बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है
क्या तमाशा देखिए तहसील-ए-ला-हासिल में है
तू ने कब इश्क़ में अच्छा बुरा सोचा 'सरवर'
आशिक़ी की ख़ैर हो 'सरवर' कि अब इस शहर में
ढूँडते ढूँडते ख़ुद को मैं कहाँ जा निकला