चमक जुगनू की बर्क़-ए-बे-अमाँ मालूम होती है
क़फ़स में रह के क़द्र-ए-आशियाँ मालूम होती है
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(460) Peoples Rate This
हद हो कोई तो सब्र तिरे हिज्र पर करें
अंजाम हर इक शय का ब-जुज़ ख़ाक नहीं है
नसीम-ए-सुब्ह गुलशन में गुलों से खेलती होगी
आ अपने दिल में मेरी तमन्ना लिए हुए
क्या ढूँढने जाऊँ मैं किसी को
मेरी रिफ़अत पर जो हैराँ है तो हैरानी नहीं
शाम-ए-फ़ुर्क़त इंतिहा-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है
छुपाता हूँ मगर छुपता नहीं दर्द-ए-निहाँ फिर भी
सहरा से बार बार वतन कौन जाएगा
हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना
ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
बदन से रूह रुख़्सत हो रही है