देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊँगा
देखती की देखती रह जाएगी दुनिया मुझे
Wasi Shah
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(473) Peoples Rate This
ज़ब्त से ना-आश्ना हम सब्र से बेगाना हम
जो मेरे तंगना-ए-दिल में तुझ को जल्वा-गर देखा
ख़त्म इस तरह नज़ा-ए-हक़-ओ-बातिल हो जाए
सहरा से बार बार वतन कौन जाएगा
मुझे फ़िक्र-ओ-सर-ए-वफ़ा है हनूज़
वो दुनिया थी जहाँ तुम बंद करते थे ज़बाँ मेरी
दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में
मंज़िल मिली मुराद मिली मुद्दआ मिला
अब वहाँ दामन-कशी की फ़िक्र दामन-गीर है
मरकज़ पे अपने धूप सिमटती है जिस तरह
जो उम्र तेरी तलब में गँवाए जाते हैं
रस्मन ही उन को नाला-ए-दिल की ख़बर तो हो