देखते रहते हैं छुप-छुप के मुरक़्क़ा तेरा
कभी आती है हवा भी तो छुपा लेते हैं
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इजाज़त दे कि अपनी दास्तान-ए-ग़म बयाँ कर लें
सुकूँ-पज़ीर जुनून-ए-शबाब हो न सका
जल्वा-गाह-ए-दिल में मरते ही अँधेरा हो गया
ज़ब्त से ना-आश्ना हम सब्र से बेगाना हम
हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना
जरस है कारवान-ए-अहल-ए-आलम में फ़ुग़ाँ मेरी
इश्क़ ख़ुद माइल-ए-हिजाब है आज
नाहक़ शिकायत-ए-ग़म-ए-दुनिया करे कोई
वो दुनिया थी जहाँ तुम बंद करते थे ज़बाँ मेरी
'सीमाब' दिल हवादिस-ए-दुनिया से बुझ गया
महफ़िल-ए-इश्क़ में जब नाम तिरा लेते हैं
कहानी है तो इतनी है फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती की