सुना के रंज-ओ-अलम मुझ को उलझनों में न डाल

सुना के रंज-ओ-अलम मुझ को उलझनों में न डाल

थकन का ख़ौफ़ मिरे अज़्म की रगों में न डाल

मैं इस जहान को कुछ और देना चाहता हूँ

तू कार-ए-वक़्त के पुर-हौल चक्करों में न डाल

मलूल देख के तुझ को मैं रुक न जाऊँ कहीं

ख़ुदारा! हिज्र की शिद्दत को आँसुओं में न डाल

तिरी भलाई की ख़ातिर मुझे उतारा गया

मुझे लपेट के कपड़ों में ताक़चों में न डाल

ये हिजरतें तो मुक़द्दर हैं और मश्ग़ला भी

तू बे-घरी के हवाले से वसवसों में न डाल

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In Hindi By Famous Poet Shabbir Nazish. is written by Shabbir Nazish. Complete Poem in Hindi by Shabbir Nazish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.