इतना एहसान और करता कौन

इतना एहसान और करता कौन

मुझे से बढ़ कर मुझे समझता कौन

दीन-ओ-दुनिया से मावरा था मैं

मेरी बातों पे कान धरता कौन

मैं न होता तो यूँ लब-ए-दरिया

आबरू तिश्नगी की रखता कौन

जो किसी ने लिखा नहीं वो हर्फ़

मैं न लिखता तो और लिखता कौन

खोट मुझ में तो सब ने देख लिया

अपना सोना मगर परखता कौन

जिस की मंज़िल हो ख़्वाब-ए-दर-बस्ता

उस मुसाफ़िर के साथ चलता कौन

आइना अपने रू-ब-रू रख कर

मैं न हँसता तो मुझ पे हँसता कौन

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In Hindi By Famous Poet Shabi Farooqui. is written by Shabi Farooqui. Complete Poem in Hindi by Shabi Farooqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.