शाद लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाद लखनवी (page 3)
नाम | शाद लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shad Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1805 |
मौत की तिथि | 1899 |
गर जुनूँ कर मुझे पाबंद-ए-सलासिल जाता
गले लिपटे हैं वो बिजली के डर से
दुनिया में क़स्र-ओ-ऐवाँ बे-फ़ाएदा बनाया
दुनिया भी अजब हसीन ज़न है
दुनिया भी अजब हसीन ज़न है
दुखा दिल भी टुकड़े जिगर होते होते
दिल की कहूँ या कहूँ जिगर की
देख कर रू-ए-सनम को न बहल जाऊँगा
दम-ए-आख़िर ये शिकवा क्या न करता
दम-ब-ख़ुद हम तो डरे बैठे हैं
बोसा ज़ुल्फ़-ए-दोता का दो
बोसा ज़ुल्फ़-ए-दोता का दो
बोलना बादा-कशों से न ज़रा ऐ वाइज़
बद-गुमानी जो हुई शम्अ' से परवाने को
ऐ बद-गुमाँ तिरा है गुमाँ और की तरफ़
अहल-ए-ईमाँ से न काफ़िर से कहो
अब्र-ए-दीदा का मिरे हो जो न ओझढ़ पानी