ज़बाँ ख़मोश रहे तर्क-ए-मुद्दआ न करे

ज़बाँ ख़मोश रहे तर्क-ए-मुद्दआ न करे

ये इल्तिजा भी नहीं कम कि इल्तिजा न करे

मैं नंग-ए-इश्क़ समझता हूँ ज़िंदगी के लिए

वो दिल जो गर्दिश-ए-दौराँ का सामना न करे

दिला रही है यक़ीन-ए-वफ़ा मुझे वो नज़र

ये बात और है हर एक से वफ़ा न करे

उसे बहार की रंगीनियाँ नसीब न हों

चमन में रह के चमन का जो हक़ अदा न करे

कभी कभी ये बिना-ए-करम भी होती है

जफ़ा-ए-यार से अंदाज़ा-ए-जफ़ा न करे

मुसीबतों से निखरता है इश्क़ ऐ 'शाइर'

दुआ को हाथ भी उठ जाएँ तो दुआ न करे

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In Hindi By Famous Poet Shaer Fatahpuri. is written by Shaer Fatahpuri. Complete Poem in Hindi by Shaer Fatahpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.